डेली करेंट अफेयर्स 3 जनवरी 2017(मंगलवार )


1.सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था : धर्म और जाति के नाम पर नहीं मांग सकते वोट
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• उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। उसने कहा है कि धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगा जाना चुनाव कानून प्रावधान के तहत भ्रष्ट तरीका है।
• जनप्रतिनिधि कानून में ‘‘भ्रष्ट तरीके’ को परिभाषित करने वाली धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द ‘‘ उसका धर्म’ के संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और तीन अन्य न्यायाधीशों ने तीन के मुकाबले चार के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इसका यह अभिप्राय मतदाताओं, उम्मीदवारों और उनके एजेंटों आदि समेत सभी के धर्म और जाति से है।
• बहुमत में शामिल चार न्यायाधीशों में एमबी लोकुर, एसए बोबडे और एलएन राव शामिल थे। हालांकि तीन न्यायाधीशों- यू यू ललित, एके गोयल और डी वाई चंद्रचूड़ का अल्पमत यह था कि ‘‘ उसका धर्म’ का अभिप्राय सिर्फ उम्मीदवार के धर्म से है।
• न्यायाधीशों के बीच बहुमत यह था कि ऐसे मुद्दों को देखते समय ‘‘ धर्मनिरपेक्षता’ का ख्याल रखा जाना चाहिए। धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगना या मतदाताओं से मतदान नहीं करने के लिए कहना ‘‘ भ्रष्ट तरीका’ है या नहीं, इससे संबंधित चुनावी कानून के प्रावधान के दायरे पर फैसला शीर्ष न्यायालय ने 27 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था।
• पहले के फैसले में कहा गया था कि ‘‘ भ्रष्ट तरीके’ से संबंधित मामलों को देखने वाली जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द ‘‘ उसका धर्म’ का अभिप्राय सिर्फ उम्मीदवारों के धर्म से है।
• किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा या उम्मीदवार की सहमति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या उसके चुनावी एजेंट द्वारा किसी व्यक्ति के धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर उसे वोट करने या वोट नहीं करने के लिए अपील करना या किसी उम्मीदवार के निर्वाचन की संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए या प्रभावित करने के लिए धार्मिक प्रतीकों या राष्ट्रीय प्रतीकों का इस्तेमाल करना भ्रष्ट तरीका माना जाएगा।
2. बार-बार अध्यादेश संविधान से धोखाधड़ी : सुप्रीम कोर्ट
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• सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केन्द्र या राज्य सरकार बार-बार अध्यादेश जारी नहीं कर सकती। बार-बार अध्यादेश जारी करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवैधानिक प्रावधानों का मखौल है।
• संविधान पीठ का फैसला का यह फैसला केन्द्र की मोदी सरकार को मुश्किल में डाल सकता है। शत्रु सम्पत्ति अध्यादेश सहित कई कानून बार-बार अध्यादेश के जरिए आगे बढ़ाए गए हैं।
• सात में से पांच न्यायाधीशों ने अध्यादेश को विधायिका के समक्ष पेश करने के कानून को अनिवार्य बताया, जबकि चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर और जस्टिस मदन लोकुर ने इससे असहमति व्यक्त की। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, आदर्श कुमार गोयल, उदय उमेश ललित, धनंजय चंद्रचूड और एल नागेश्वर राव ने बहुमत से फैसाला सुनाया।
• संविधान पीठ ने बहुमत से किए गए फैसले में कहा कि अनुच्छेद 213 और 123 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रदत्त अधिकार विधायिका की शक्ल के रूप में उन्हें दिए गए हैं। संसद या विधानसभा के सत्र में न रहने के कारण यह अधिकार दिए गए हैं। आपात स्थिति के लिए यह अधिकार प्रदान किए गए हैं, लेकिन अध्यादेश को संसद या विधान मंडल में पेश करना अनिवार्य है।
• यदि संसद के सत्र में इसे पेश नहीं किया गया तो सत्र शुरू होने के छह सप्ताह बाद इसका स्वत: अंत हो जाएगा। अध्यादेश पहले भी निरस्त हो सकता है यदि इसे संसद में पेश किया जाए और सदन इसे अस्वीकार कर दे। 138 पृष्ठ के फैसले में संविधान पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति और राज्यपाल कानून का समानांतर स्रोत  नहीं हो सकते।
• वह एक पृथक विधायिका का रूप अख्तियार नहीं कर सकते। लोकतंत्र में विधायिका का सर्वोच्च स्थान है। अध्यादेश पर विधायिका का नियंतण्रजरूरी है। राष्ट्रपति और राज्यपाल मंत्रीपरिषद की सलाह पर काम करते हैं। कैबिनेट या मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
• विधायिका ही यह तय करने में सक्षम है कि अध्यादेश जरूरी है या नहीं। उसे संशोधन के साथ पारित करने या न करने का अधिकार सिर्फ संसद या विधानसभा को है। विधायिका से बचकर अध्यादेश को बार-बार लागू करना आर्डिनेंस को अवैध बना देता है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक मामले में यह फैसला दिया।
3. दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा : ‘‘क्या जम्मू-कश्मीर के न्यायाधीश संविधान को लागू करने की शपथ लेते हैं?’
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• हाईकोर्ट के समक्ष सोमवार को सवाल आया कि क्या संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राष्ट्रपति आदेश के बिना जम्मू-कश्मीर में किसी संवैधानिक संशोधन का लागू नहीं होना न्यायाधीशों के लिए वहां भारतीय संविधान के क्रियान्वयन को अनिवार्य नहीं बनाता?
• हालांकि मामले के गुणदोष में जाए बिना ही हाईकोर्ट ने कहा कि वह केन्द्र और राज्य से इस बारे में जवाब चाहता है कि जम्मू-कश्मीर के हाईकोर्ट के न्यायाधीश संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं अथवा नहीं।
• चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने यह आदेश उस समय दिया जब याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर में हाईकोर्ट के न्यायाधीश भारतीय संविधान को लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
• बेंच ने कहा कि पहली नजर में उसका मानना है कि फोरम कन्वीनियेंस के सिद्धांत को देखते हुए याचिकाकर्ता के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से गुहार लगाना उचित होगा। बेंच ने इस मामले में सुनवाई के लिए 13 फरवरी की तारीख तय की और कहा कि याचिकाकर्ता के वकील की दलील से ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीश भारत के संविधान को लागू करने के लिए निष्ठा की शपथ नहीं लेते हैं। हम इस मुद्दे पर प्रतिवादियों केन्द्र और जम्मू-कश्मीर को सुनना चाहते हैं।
• वकील सुरजीत सिंह ने संविधान आदेश 1954 को चुनौती दी है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 368 के एक प्रावधान को जोड़ा गया है। संविधान आदेश 1954 में अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन और उसकी प्रक्रि या के बारे में संसद के अधिकार का एक प्रावधान जोड़ा गया।
• इसमें कहा गया है कि ऐसा कोई भी संशोधन जम्मू-कश्मीर राज्य के मामले में उस समय तक प्रभावी नहीं होगा, जब तब राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के उपबंध(1) के तहत राष्ट्रपति के आदेश से लागू नहीं किया जाए।
4. चीन-रूस के समर्थन से बढ़ा पाक का दुस्साहस
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• भारत और पाकिस्तान के सर्द रिश्तों में नया साल भी कोई जोश भरता नहीं दिख रहा। पाकिस्तान ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह अब आक्रामक कूटनीति की आजमाइश करेगा। इसके पीछे पाकिस्तान को चीन और रूस की तरफ से मिल रहे समर्थन को बड़ी वजह माना जा रहा है।
• पाक के दुस्साहस का आलम यह है कि उसने शिवसेना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू  परिषद (विहिप) को आतंकी संगठन करार दिया है। भारत ने इसका विरोध तो किया है लेकिन पाक के इरादों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा। उल्टे आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगवाने में असफल रहने पर भारत की कूटनीति की खिल्ली भी उड़ाई गई है।
• यह पहला मौका है जब मसूद अजहर मामले में भारतीय कूटनीति के असफल होने पर पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया जताई गई है। भारतीय कूटनीति से जुड़े लोग इसे पाकिस्तान के बढ़ते हौसले से जोड़ कर देख रहे हैं।
• चीन के अड़ंगे की वजह से भारत मसूद पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगवाने में असफल रहा। वैसे इससे पहले भी भारत की यह कोशिश तकनीकी वजहों से परवान नहीं चढ़ पाई। लेकिन यह पहला मौका है जब पाकिस्तान के विदेश मंत्रलय ने इस पर लंबा बयान जारी किया। इसमें उल्टे भारत पर आरोप मढ़ा गया कि वह आतंक को बढ़ावा दे रहा है।
• इस संदर्भ में पाक में पकड़े गए भारतीय नागरिक कुलभूषण का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने कहा कि वह भारत के खिलाफ इस मामले को जल्द संयुक्त राष्ट्र में रखेगा और बताएगा कि किस तरह से वह पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त है।
• इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रलय की साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया, ‘भारतीय सेना भारत के आतंकी संगठनों जैसे आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना, बजरंग दल के साथ मिलकर कश्मीर में जनसंख्या अनुपात बदलने की कोशिश कर रही है।’ भारत ने इस बयान को पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है।
• भारत का कहना है कि आतंकी संगठनों को पनाह देने के कारण बढ़ते वैश्विक दवाब की वजह से ही पाकिस्तान इस तरह के अनर्गल बयान दे रहा है। लेकिन कूटनीतिक सूत्रों का मानना है कि यह चीन और रूस की तरफ से मिल रहे समर्थन का नतीजा है।
• मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन ने साबित कर दिया कि वह पाकिस्तान को मदद देने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
5. चीन से लंदन के लिए दौड़ी पहली मालगाड़ी
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• ब्रिटेन की राजधानी लंदन के लिए चीन ने पहली मालगाड़ी रवाना की है। चीन के ङोजियांग प्रांत के यिवू इंटरनेशनल कमोडिटी सेंटर से यह रविवार को रवाना हुई। चीन रेलवे कॉरपोरेशन (सीआरसी) के अनुसार 12 हजार किलोमीटर से यादा की दूरी तय कर लंदन पहुंचने में ट्रेन 18 दिन का समय लेगी। चीन-यूरोप मालगाड़ी सेवा से जुड़ने वाला लंदन 15वां शहर है।
• घरेलू इस्तेमाल की चीजों के उत्पादन के लिए यिवू जाना जाता है। मालगाड़ी में घरेलू इस्तेमाल की चीजें, कपड़े, थैले, सूटकेस लदे हैं। सीआरसी ने बताया है कि इस सेवा से ब्रिटेन व चीन के व्यापारिक संबंध बढ़ेंगे। पश्चिम यूरोप से संपर्क को मजबूती मिलेगी।
• यह सेवा निर्यात बढ़ाने के चीनी प्रयासों का हिस्सा है। चीन एशिया को यूरोप और अफ्रीका के प्राचीन व्यापारिक मार्गो से जोड़ने के लिए अरबों डॉलर के ‘वन बेल्ट वन रोड (सिल्क रोड)’ परियोजना पर काम कर रहा है।
6. अग्नि-4 का सफल परीक्षण
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• भारत ने सोमवार को ओड़िशा अपतटीय क्षेत्र में एक परीक्षण स्थल से परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है।
• रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने बताया कि मोबाइल लॉन्चर की मदद से सुबह 11 बजकर करीब 55 मिनट पर अग्नि-4 को डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के परिसर संख्या चार से दागा गया।
• डॉ अब्दुल कलाम द्वीप को पूर्व में व्हीलर द्वीप के तौर पर जाना जाता था। परीक्षण को सफल बताते हुए सूत्रों ने कहा कि देश में निर्मित अग्नि-4 का यह छठा प्रायोगिक परीक्षण था जिसने सभी मानकों को पूरा किया। पिछला परीक्षण नौ नवम्बर 2015 को भारतीय सेना की विशेष तौर पर गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने किया था जो सफल रहा।
• बीस मीटर लंबी और 17 टन वजन वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है और यह दो चरणीय मिसाइल है। डीआरडीओ के सूत्रों ने कहा, अत्याधुनिक एवं सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल आधुनिक एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी से लैस है जो इसे उच्चस्तरीय विश्वसनीयता प्रदान करती है। अग्नि-4 मिसाइल अत्याधुनिक वैमानिकी, पांचवी पीढ़ी के ऑन बोर्ड कंप्यूटर और संवितरित संरचना से लैस है। इसमें उड़ान के दौरान उत्पन्न होने वाली दिक्कतों को सही करने और मागर्दशन की तकनीक है।
7. अनुराग ठाकुर और शिर्के बीसीसीआई से ‘‘ बोल्ड’
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• उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने पर उनके पदों से बर्खास्त कर दिया।
• सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को नए साल के दूसरे ही दिन बड़ा झटका दे दिया। मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायाधीश एएम खानवेलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि 18 जुलाई 2016 के आदेश को ठाकुर और शिर्के ने लागू नहीं किया। इसलिए उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है।
• अदालत ने साथ ही कहा कि क्यों न अनुराग ठाकुर के खिलाफ अदालत में झूठा हलफनामा देने के लिए जांच शुरू की जाए।
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